
गुजरात के नडियाद में अनोखे ढंग से परिवार ने बेटे का अंतिम संस्कार किया. 18 साल के कृष परमार की बाइक हादसे में मौत के बाद, परिवार ने उसे उसकी पसंदीदा बाइक के साथ दफनाया.
रात के नडियाद जिले के उत्तरसंडा गांव में एक दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई है. यहां 18 साल के युवक कृष परमार की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. कृष अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और उसकी मौत ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया है.

कृष को बाइक चलाने का बहुत शौक था. वह अपनी बाइक को केवल सवारी का साधन नहीं, बल्कि दोस्त की तरह मानता था. गांव में अक्सर लोग उसे उसकी पसंदीदा बाइक पर घूमते हुए देखते थे. वह कहता था कि बाइक ही उसकी असली आजादी है.
करीब दस दिन पहले कृष अपनी बाइक से गांव के पास से गुजर रहा था. अचानक उसकी बाइक एक ट्रैक्टर ट्रॉली से टकरा गई. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कृष को सिर और शरीर में गंभीर चोटें आईं. तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन 12 दिन तक इलाज चलने के बाद भी डॉक्टर उसे बचा नहीं सके.
कृष की मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया. उसके अंतिम संस्कार से पहले परिवार ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसने सभी को भावुक कर दिया. परिवार ने तय किया कि कृष को उसी बाइक के साथ दफनाया जाएगा, जिससे उसे सबसे ज्यादा लगाव था.
सिर्फ बाइक ही नहीं, कृष की कुछ और प्रिय चीजें भी उसके साथ दफनाई गईं. उसके पसंदीदा कपड़े, घड़ी और कुछ यादगार चीजें भी उसके अंतिम सफर में साथ रखी गईं. यह सब उसकी यादों को ज़िंदा रखने की एक भावनात्मक कोशिश थी.
कृष के पिता संजयभाई परमार ने कहा, “मेरा बेटा बाइक का दीवाना था. उसके लिए बाइक सिर्फ मशीन नहीं, उसका सपना थी. हमने जब उसे अंतिम विदाई दी, तो सोचा कि वो जहां भी जाए, उसकी सबसे प्यारी चीज उसके साथ हो.”
उत्तरसंडा गांव में कृष की मौत के बाद हर कोई गमगीन है. गांव में कोई ऐसा नहीं जो उसकी हंसी और बाइक पर घूमते चेहरे को भूल पाया हो. गांववालों ने भी अंतिम संस्कार में पहुंचकर अपने आंसुओं से उसे विदाई दी.