|| गणेश मौर्य अंबेडकर नगर ||

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए एक नई और सख्त तबादला नीति को मंजूरी दे दी है। यह नीति वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लागू की गई है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मोहर लगाई गई। इस नई व्यवस्था के तहत कोई भी कर्मचारी अब एक जिले में तीन साल से अधिक और एक ही मंडल में सात साल से ज्यादा समय तक तैनात नहीं रह सकेगा।

पुरानी नीति से बड़ा बदलाव
पहले की नीति में तबादलों को लेकर विभागों के पास अपेक्षाकृत अधिक लचीलापन था, जिसकी वजह से कई कर्मचारी एक ही स्थान पर वर्षों तक जमे रहते थे। इससे कार्य संस्कृति पर भी नकारात्मक असर पड़ता था। नई नीति का मकसद है कि प्रशासनिक कार्य में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता लाई जा सके और “लंबे समय तक एक स्थान पर जमे रहने” की संस्कृति को खत्म किया जा सके।

15 जून 2025 तक लागू होगा नियम
नई नीति के तहत जिन कर्मचारियों ने 15 जून 2025 तक किसी जिले में 3 साल से अधिक की सेवा पूरी कर ली है, उनका तबादला अनिवार्य रूप से किया जाएगा। विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाकर प्रक्रिया शुरू करें।

मुख्य प्रावधान – नई तबादला नीति 2025-26
जिले में अधिकतम तैनाती अवधि: 3 साल

मंडल में अधिकतम तैनाती अवधि: 7 साल

15 जून 2025 तक तीन साल पूरे कर चुके कर्मचारियों का अनिवार्य ट्रांसफर

नीति सभी विभागों में समान रूप से लागू होगी, हालांकि कुछ विशिष्ट श्रेणियों को छूट मिल सकती है (जैसे दिव्यांग कर्मचारी, गंभीर बीमारियों से पीड़ित, महिलाओं आदि के लिए विशेष प्रावधान पर विचार किया जा सकता है)।

ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता और ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम की व्यवस्था भी की जा रही है।

सरकार का उद्देश्य: जवाबदेही और निष्पक्षता
सरकार का कहना है कि इस नीति से प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित होगी। लंबे समय तक एक स्थान पर जमे कर्मचारियों से अक्सर स्थानीय स्तर पर गठजोड़, भ्रष्टाचार या पक्षपातपूर्ण कार्य व्यवहार की शिकायतें आती हैं। इससे न केवल विभागीय कार्य प्रभावित होता है, बल्कि जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले भी कई मौकों पर संकेत दिए थे कि तबादलों को लेकर एक मजबूत नीति लाई जाएगी ताकि “स्थानीय स्तर पर पनपती अव्यवस्था” को रोका जा सके।

ऑनलाइन ट्रांसफर मॉड्यूल होगा लागू
सरकार तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी और डिजिटल बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर मॉड्यूल शुरू कर रही है। इसके तहत कर्मचारियों को ऑनलाइन आवेदन करने का विकल्प मिलेगा और तबादला आदेश भी उसी पोर्टल पर जारी किए जाएंगे। इससे सिफारिश, दबाव और भ्रष्टाचार जैसी पुरानी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

शिक्षकों और पुलिस विभाग पर भी लागू होगी नीति
नई नीति शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, राजस्व, पंचायती राज, सिंचाई और अन्य विभागों पर समान रूप से लागू होगी। विशेष रूप से शिक्षा और पुलिस विभाग में लंबे समय से तबादलों को लेकर विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बनी रही है। नई नीति से इन विभागों में भी संतुलित और पारदर्शी तैनातियों की उम्मीद की जा रही है।

संभावित छूट और अपवाद
कुछ मामलों में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए छूट दी जा सकती है। मसलन:

महिला कर्मचारी जिनकी नियुक्ति गृह जनपद से दूर हो।

गंभीर रूप से बीमार कर्मचारी या जिनके परिवार में कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता है।

दिव्यांग कर्मचारी।
इन सभी मामलों में छूट शासन की मंजूरी से ही दी जाएगी।

निष्कर्ष
नई तबादला नीति उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ा और सुधारात्मक कदम माना जा रहा है। यदि इसे सख्ती से लागू किया गया तो सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को नया आयाम मिलेगा। साथ ही कर्मचारियों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी कार्यकुशलता भी बढ़ेगी।