गोरखपुर में ‘विरासत गलियारा’ परियोजना को लेकर राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है। 25 जून को जब समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल व्यापारियों से बातचीत के लिए गोरखपुर आया, तो भाजपा और सपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। इस झड़प में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद और अन्य सपा नेताओं पर अंडे फेंके गए, जिससे माहौल और भी गर्मा गया।

अब इस विवाद में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की भी एंट्री हो गई है। उन्होंने कहा है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन लोगों को डराकर उनकी जमीनें जबरन हड़पने के खिलाफ हैं। अखिलेश ने उदाहरण देते हुए बताया कि सपा सरकार के दौरान लखनऊ में मेट्रो और बिजलीघर के लिए जमीन मार्केट वैल्यू पर खरीदी गई थी, जबकि गोरखपुर में ‘विकास’ के नाम पर लोगों की जमीन जबरदस्ती ली जा रही है।

‘विरासत गलियारा’ परियोजना के तहत गोरखपुर में करीब 833 मकानों को तोड़ा जाना है। इनमें से 200 से अधिक मकानों के मालिकों के पास जमीन के पुराने दस्तावेज नहीं हैं, जो विवाद की जड़ बनी है। जमीन की इस असमंजस स्थिति ने स्थानीय लोगों में असंतोष और भय की स्थिति पैदा कर दी है। इस पूरे मामले ने सियासी संग्राम को और भड़का दिया है, जहां विकास और जमीन अधिग्रहण को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

परियोजना के समर्थक इसे शहर के विकास और सौंदर्यीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, जबकि विरोधी इसे आम लोगों के अधिकारों का हनन बताते हैं। इस मुद्दे ने गोरखपुर में राजनीतिक दलों के बीच तीखी टकराव की स्थिति पैदा कर दी है, जो आगे चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकता है।

अभी तक इस विवाद का कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है और स्थानीय प्रशासन तथा राज्य सरकार इस मामले को शांत कराने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन जैसे-जैसे ‘विरासत गलियारा’ परियोजना आगे बढ़ेगी, संघर्ष और विवाद भी गहराने की संभावना बनी हुई है।