
मंज़िलें उन्हें ही मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है. यह पंक्तियां प्रयागराज के झलवा क्षेत्र के पीपल गांव की बेटी श्वेता पाल के संघर्ष और सफलता की कहानी पर पूरी तरह खरी उतरती हैं. बेहद साधारण आर्थिक स्थिति में पली-बढ़ी श्वेता (Shweta Pal) ने NEET 2025 परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया.
बिना कोचिंग फीस के की बड़ी तैयारी
जहां नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र लाखों रुपये खर्च करते हैं, वहीं श्वेता ने मिर्जापुर के पिछड़े इलाके में समाज कल्याण विभाग और एक्स नवोदय फाउंडेशन द्वारा संचालित निःशुल्क कोचिंग से पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया. उसकी यह सफलता यह दर्शाती है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन से किसी भी संसाधन की कमी को मात दी जा सकती है.
सीट कवर बनाने वाले पिता, सिलाई करती मां—संघर्ष की प्रेरणादायक पृष्ठभूमि
श्वेता के पिता हीरालाल पाल गाड़ी के सीट कवर बनाने का काम करते हैं, जबकि मां कुसुम देवी घर पर सिलाई करती हैं. सीमित आमदनी के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाई का मौका दिया. श्वेता के परिवार में दो बहनें और एक भाई भी हैं जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं. पूरे परिवार ने कभी-कभी चटनी-रोटी खाकर भी दिन काटे, लेकिन श्वेता के सपनों के सामने कभी हार नहीं मानी.
अपनी सफलता पर श्वेता ने कहा कि मैंने लक्ष्य तय किया और मन लगाकर पढ़ाई की. मेरे इस सफर में मेरे शिक्षकों और माता-पिता का योगदान सबसे महत्वपूर्ण रहा. श्वेता की यह भावना उन छात्रों के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों से जूझते हुए भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ते.
श्वेता के पिता हीरालाल भावुक होकर बताते हैं कि उनकी आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि बेटी को महंगी कोचिंग दिला सकें. फिर भी श्वेता ने अपने संकल्प से वह कर दिखाया, जिसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान का भी धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी बेटी ने इस नारे को साकार कर दिया.
एक नहीं, 12 बेटियों की कामयाबी ने दी समाज को नई दिशा
श्वेता अकेली नहीं है, जिन्होंने इस निःशुल्क कोचिंग से सफलता पाई. NEET 2025 की परीक्षा में कुल 12 बेटियों ने सफलता पाकर यह दिखा दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती. श्वेता की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सीमित साधनों में भी यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और प्रयास निरंतर हों, तो कोई भी सपने को साकार किया जा सकता है