छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित पूवर्ती गांव में एक ऐसा भावनात्मक और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला, जिसने पूरे देश का दिल जीत लिया। यह वही गांव है, जिसे कभी नक्सल हिंसा और डर के लिए जाना जाता था, और जो कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा का गढ़ रहा है। लेकिन अब यहां से एक नई कहानी निकल रही है — बदलाव की, विश्वास की और दिलों को जोड़ने वाली मानवता की।

बेटी की विदाई, लेकिन देश के रक्षकों को न भूली
गांव की एक बेटी की शादी हुई थी। विवाह की रस्में पूरी होने के बाद जब विदाई का समय आया, तो परिजन और ग्रामीण उसे सीधे CRPF के कैंप लेकर पहुंचे — जंगलों के बीच स्थित 150वीं बटालियन के उस कैंप में, जहां वीर जवान तैनात हैं और जिनकी वजह से गांवों में धीरे-धीरे सुरक्षा और शांति लौट रही है।

जैसे ही दुल्हन कैंप पहुंची, वहां का माहौल भावनाओं से भर गया। नवविवाहिता ने सैनिकों के पास जाकर सबसे पहले उनके पैर छुए — यह केवल सम्मान की परंपरा नहीं थी, बल्कि नक्सल आतंक से जूझते इन जवानों के प्रति एक गहरी कृतज्ञता की भावना का प्रतीक था।

CRPF जवानों की भी आंखें हुई नम
कैंप में मौजूद जवान भी इस स्नेह और आदर से अभिभूत हो उठे। उन्होंने नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया, मिठाई खिलाई और इस खास पल को यादगार बना दिया। कुछ जवानों की आंखों में आंसू भी छलक उठे — वर्षों से तैनाती और संघर्ष के बीच यह मानवीय जुड़ाव उनके लिए भी एक नया अनुभव था।

नक्सलवाद की काली छाया में उजाले की किरण
यह दृश्य प्रतीक बन गया है उस बदलाव का, जो अब छत्तीसगढ़ के सुदूर गांवों में दस्तक दे रहा है। जिस पूवर्ती गांव से कभी बंदूकधारी निकलते थे, वहां अब बेटियां घूंघट में मुस्कराकर CRPF कैंप में आशीर्वाद लेने पहुंच रही हैं। यह संकेत है उस सामाजिक बदलाव का, जिसमें गांव के लोग अब डर की बजाय विश्वास और सहयोग की भावना से सुरक्षा बलों के साथ खड़े हो रहे हैं।
एक छोटा कदम, लेकिन बड़ा संदेश
दुल्हन का यह कदम छोटा जरूर लग सकता है, लेकिन इसका संदेश बहुत बड़ा है। यह भरोसा दिलाता है कि CRPF जैसे बलों की लगातार मेहनत, गांवों में शांति स्थापना की पहल, और ग्रामीणों के साथ भावनात्मक जुड़ाव अब रंग ला रहा है।
छत्तीसगढ़ का यह दृश्य न केवल भावनात्मक है, बल्कि यह पूरे देश के लिए प्रेरणा है कि परिवर्तन संभव है — जब दिल से दिल जुड़ते हैं, तब बंदूकें नहीं, फूल खिलते हैं।