बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती आज शनिवार को शाम 4 बजे एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही हैं। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस राजधानी लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित होगी, और इसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि यह प्रेस वार्ता पार्टी की आगामी रणनीति और संभावित गठबंधनों को लेकर कई अहम संकेत दे सकती है। हाल ही में बसपा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी। यह पहला मौका नहीं है जब मायावती ने बड़े चुनाव में ‘साफ-साफ’ अपनी स्वतंत्र नीति का परिचय दिया हो। ऐसे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे आगामी लोकसभा चुनाव 2026 की रणनीति या किसी राज्य में गठबंधन को लेकर बड़ा फैसला कर सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ बिहार या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिल सकता है। चर्चा यह भी है कि बसपा दक्षिण भारत या पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में भी अपना विस्तार कर सकती है, जिसके लिए संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की घोषणा संभव है। कुछ राजनीतिक सूत्रों का यह भी कहना है कि बसपा आने वाले समय में “सामाजिक न्याय फ्रंट” या “दलित-आदिवासी-मुस्लिम” समीकरणों पर आधारित किसी नए गठबंधन की घोषणा कर सकती है। इससे पहले मायावती विपक्षी गठबंधनों से दूरी बनाए रखती रही हैं, लेकिन बदलते सियासी समीकरणों के बीच अब उनका रुख लचीला हो सकता है। बसपा की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर कार्यकर्ताओं और पार्टी समर्थकों में खासा उत्साह है। प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक पार्टी पदाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सभी को शाम 4 बजे की प्रेस वार्ता को लाइव देखने के निर्देश दिए गए हैं। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती पार्टी के भीतर संगठनात्मक बदलाव, जिम्मेदारियों के नए बंटवारे और बूथ स्तर तक की तैयारियों का रोडमैप भी साझा कर सकती हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी आगामी चुनावों में युवाओं और महिलाओं को ज्यादा हिस्सेदारी देने की दिशा में काम कर रही है, जिसकी झलक इस प्रेस वार्ता में देखने को मिल सकती है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती आज भी एक बड़ी और निर्णायक आवाज मानी जाती हैं। ऐसे में उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बल्कि अन्य दलों के लिए भी एक संदेश होगी। कई दलों की नजर इस बात पर टिकी है कि मायावती किस दिशा में राजनीतिक कदम बढ़ाने जा रही हैं — गठबंधन की ओर, अकेले दम पर चुनाव लड़ने की ओर या फिर किसी तीसरे मोर्चे के गठन की ओर? अब देखना यह है कि शाम 4 बजे मायावती की जुबान से क्या बड़ी बात निकलती है, और वह आने वाले चुनावी परिदृश्य को किस तरह प्रभावित करती है।